बह्र-2122 2122 2122 212
प्यार जीवन में बढ़ा मां शारदे।
दर्द मुफलिस का घटा मां शारदे।।
कंट के रस्ते भी फूलों से लगे,
राम का वनवास गा मां शारदे।
भील-शोषित का यहां उध्दार हो,
एक 'गांधी फिर बुला मां शारदे।
धर्म का रथ आस्मां को जा रहा,
गर्त में धरती उठा मां शारदे।
आततायी रोज बढ़ते जा रहे,
फिर शिवा-राणा बना मां शारदे।
लेखनी का रंग गहरा हो चटक,
घाव पर मलहम लगा मां शारदे।
दृढ़ करें संवेदना सदभाव से,
आप ही परमात्मा मां शारदे।
कर्म का फल भूल जाओं धर्म में,
भाव 'सत्यम साधना मां शारदे।
के0पी0सत्यम मौलिक व अप्रकाशित
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