कुण्डलियां
कुत्ता प्यारा जीव है, वफादार बलवान।
घर की रक्षा नित करे, रख पौरूष अभिमान।।
रख पौरूष अभिमान, गली का शेर कहाए।
चोर और अंजान, भाग कर जान बचाएं।।
द्वार रहे गर श्वान, शान ज्यों माणिक मुक्ता।
पर मानव मक्कार, अहम वश कहता कुत्ता।।
के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित
कुत्ता प्यारा जीव है, वफादार बलवान।
घर की रक्षा नित करे, रख पौरूष अभिमान।।
रख पौरूष अभिमान, गली का शेर कहाए।
चोर और अंजान, भाग कर जान बचाएं।।
द्वार रहे गर श्वान, शान ज्यों माणिक मुक्ता।
पर मानव मक्कार, अहम वश कहता कुत्ता।।
के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित