Sunday 10 November 2013

किरीट सवैया

किरीट सवैया

भाव दशा अति सम्यक है गुण, ध्यान धरे हिय जीवनदायक।
प्रेम प्रकाश जले उर अन्तर, ज्ञान बढ़े चित हो सुखदायक।।
देव सभी इतिहास रचे जब, आदर  मान  हुए  गणनायक।
धन्य पिता अरू मात दयानिधि, विघ्न विनाशक नाम विनायक।।1

प्रेत  पिशाच करें  जब तांडव, एक सहाय  सदा शिव शंकर।
रूप  अनूप  सुज्ञान  विशारद, धन्य  कथा अति पावन कंकर।।
शूल  समूल  हरें भव  नायक, प्रेम  विकल्प  कहे  अभयंकर।
क्रोध अनीति विकार मिटावहिं,  विश्व विमोहन शैव शुभंकर।।2

के0पी0सत्यम मौलिक व अप्रकाशित

No comments:

Post a Comment