1212 1122 1212 22
उधार आज नहीं, कल नकद बताने से।
भंवर में डूब गयी नाव, भाव खाने से ।।
जवां-जवां है हंसीं है सुहाग रातों सी।
यहां गुलाब - चमेली महक जताने से।
बड़े उदास सितारें जमीं पे टूट गिरे।
हंसी खिली कि चमेली मिली दीवाने से।।
कठोर रात सितारों पे फब्तियां कसती।
हुजूर आप यहां, चांद डगमगाने से।।
शुभागमन है यहां भोर लालिमा जैसी।
सुगन्ध फैल गयी नम हवा बहाने से।।
के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित
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