Saturday 23 July 2016

दोहा छंद


सावन-भादों बरसते, करके गुप अंधियार.
अंत अमावस कार्तिकी, करती दीप प्रसार.१


आदर्श आदरणीय को, निरा मूर्ख मत जान.
कठिन तपस्या शोध में, मिला उन्हें सम्मान.२


ध्यान रखे इस बात का, नश्वर जीव-अजीव.
किंतु प्रगति के मार्ग हित, मिलकर रखते नींव.३


सत्य ज्ञान उत्कर्ष के, लिए प्रेम सुख सार.
करें झूठ अति मूढ़ से, प्रतिपल सद व्यवहार.४


काले धन की चाह में, करते हैं जो लूट.
अंत समय पीना पड़े, उनको कड़ुवा घूट.५

धन्यवाद ज्ञापन  करें, नेक खुदा का आज.
तीसों रोज़ों के लिये, पढ़ कर ईद नमाज़.६



//......रचनाकार...(केवल प्रसाद सत्यम)

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